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"दर्द.." दर्द माटी का किसने जाना है खिले-खिले मन

"दर्द.."

दर्द माटी का
किसने जाना है
खिले-खिले मन को
बाँध देना किसने समझा है

गुज़रती किस दर्द से
वो लम्बी धारा मीलों तक
मिलती जब सागर में
गँवा देना अस्तित्व
खोकर उसमें
वो पीड़ा किसने समझी है

सुकुमार
कोमल किसलय का
उड़ जाना आँधी में
तरु का कष्ट किसने
जाना है

मन में उपजते भावों का
तिरस्कार से निरर्थक हो
काग़ज़ पर बह जाना
वो दर्द किसने देखा है

प्रेम वंचित हृदय का
इंतज़ार प्रिय का
वो विरह प्रलाप
किसने समझा है! "दर्द.."

दर्द माटी का
किसने जाना है
खिले-खिले मन को
बाँध देना किसने समझा है

गुज़रती किस दर्द से
"दर्द.."

दर्द माटी का
किसने जाना है
खिले-खिले मन को
बाँध देना किसने समझा है

गुज़रती किस दर्द से
वो लम्बी धारा मीलों तक
मिलती जब सागर में
गँवा देना अस्तित्व
खोकर उसमें
वो पीड़ा किसने समझी है

सुकुमार
कोमल किसलय का
उड़ जाना आँधी में
तरु का कष्ट किसने
जाना है

मन में उपजते भावों का
तिरस्कार से निरर्थक हो
काग़ज़ पर बह जाना
वो दर्द किसने देखा है

प्रेम वंचित हृदय का
इंतज़ार प्रिय का
वो विरह प्रलाप
किसने समझा है! "दर्द.."

दर्द माटी का
किसने जाना है
खिले-खिले मन को
बाँध देना किसने समझा है

गुज़रती किस दर्द से