बसुधेव कुटुंबकम् नहीं कोई गैर यहां, यह बसुधा एक परिवार रची मालिक ने पूरी सल्तनत,कहाता रचनाकार बांट धरा लोगों ने मुल्कों में, कर दिए अलग थलग रीति रिवाज़ विचारधारा बुद्ध की वताती जहां जीवन का सार ज्ञान गीता का बांट भव सागर दिया तार दिया हुनर मिलनसार का इस धरा पर ऐसा है मेरा भारतवर्ष परिवार कोई यहां पर चलता साथी साथ प्रत्यक्ष वांटता कोई अप्रत्यक्ष रूप से प्यार चलता चल लेता ज्ञान सभी से, कर सभी का सत्कार एक मा जननी, दूसरी धरती मा, दोनों का मुझपर ऋण उधार गर्भ उगलती जिसका हीरे मोती सात समुंदर को पनाह दी बैठाए गोद में ऊचे ऊचे पर्वत पहाड़ ऐसा है बसुधा का परिवार के प्रति प्यार #vasudhevkutumbkam sheetal pandya मेरे शब्द Govind Pandram Asha Mr. MANEESH Tarani Nayak(disha Indian).