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वर्षों पहले जैसा देखा वर्षों बाद वैसा पाया... कंठ

वर्षों पहले जैसा देखा
वर्षों बाद
वैसा पाया...
कंठ का मधुर कलरव वही, नयनों की चितवन वही
जलज से अधर वही, वही गौरा - गौरा बदन गदराया
जैसा देखा वैसा पाया
गालों की लालिमा वही, ज्वार भाटा सी सीने की गोलाइयाँ वही
मदमस्त सुडौल कद वही, रूप रंग देख कर आज भी मन भरमाया
जैसा देखा वैसा पाया
आंखों का खुमार वही, दिल मे जज्बातों का गुब्बार वही
प्रीत का लगाव वही, इस प्यार की पहेली को सुलझा न पाया
जैसा देखा वैसा पाया
वर्षों पहले जैसा देखा
वर्षों बाद
वैसा पाया...
कंठ का मधुर कलरव वही, नयनों की चितवन वही
जलज से अधर वही, वही गौरा - गौरा बदन गदराया
जैसा देखा वैसा पाया
गालों की लालिमा वही, ज्वार भाटा सी सीने की गोलाइयाँ वही
मदमस्त सुडौल कद वही, रूप रंग देख कर आज भी मन भरमाया
जैसा देखा वैसा पाया
आंखों का खुमार वही, दिल मे जज्बातों का गुब्बार वही
प्रीत का लगाव वही, इस प्यार की पहेली को सुलझा न पाया
जैसा देखा वैसा पाया