फिज़ाओं में मोहब्बत की महक़ थी। आँगन में अपनेपन की खनक थी। अब ज़रूरत के सिवाय कुछ नहीं! कौन बदला इंसान या ज़माना- या दोनों बदल गए। 🎀 बदल गया ज़माना 🎀 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 आज की प्रतियोगिता (Challenge-324) "बदले तुम बदले हम" को जीतने के लिए "बदल गया ज़माना" पर कोलाब करना अनिवार्य है। 🎀 4 लेखकों को मिलकर कोलाब करना है और ज़िन्दगी पर पाँच शब्द लिखने हैं। 🎀 Font छोटा रखिएगा जिससे वालपेपर खराब न हो। कम लिखिए या ज़्यादा लिखिए परन्तु अपना लिखिए।