हम क्या कर रहे हैं,रोज जीने की आस में तिल तिल मर रहे हैं, आओ कुछ नया करें,हम भी क्यों जिएं मरने के लिए, जीने के लिए तो सभी मर रहे हैं, बो कर जाएं कुछ बीज अच्छाइयों,केजिनसे निकलें,नवांकुर के फूल नफ़रत तो सभी बो रहे हैं,, नवांकुर