माँ मुझको तुझपे नाज़ है (Part-I) तू ही मेरी आशा है, तू ही मेरी अभिलाषा है तू ही मेरे शब्द है, तू ही मेरी भाषा है तूने ही उँगली पकड़कर चलना मुझे सिखाया है तूने ही मुझे खिलाया, तूने ही बहलाया है तू तो कितनी प्यारी है, क्या तेरी आवाज़ है माँ मुझको तुझपे नाज़ है, माँ मुझको तुझपे नाज़ है कभी खेलती, कभी हँसाती, कभी तू रूठ जाती है कभी बोलती, कभी मनाती, कभी यूं ही बैठ जाती है तू तो कितनी सुंदर है, क्या तेरे अंदाज़ है माँ मुझको तुझपे नाज़ है, माँ मुझको तुझपे नाज़ है तूने ही मुझे बोलना, रहन-सहन सिखाया है किससे क्या कहना है, रह-रहकर समझाया है तू तो कितनी सभ्य है, क्या सलीकेदार तेरे काज है माँ मुझको तुझपे नाज़ है, माँ मुझको तुझपे नाज़ है Part 2 Contiued... Part 2- #maa #maakapyaar #yqpoetry #mummy #mumma