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पहाड़ को चीर दे,सुखा समुन्दर का नीर दे..! प्यार की

 पहाड़ को चीर दे,सुखा समुन्दर का नीर दे..!
प्यार की हद नहीं..!!

कभी सूक्ष्म कहीं स्थूल,कभी फूल कभी शूल..!
प्यार सा हरिपद नहीं..!!

ज़िद्द का ज़िहाद,करें कैसे ख़त्म विवाद..!
प्यार के बिना संभव ये वध नहीं..!!

जीवन के विकार,हो सदा के लिए सुधार..!
प्यार से बढ़कर कोई मध नहीं..!!

क्या जमीं क्या आसमाँ,प्रफुल्लित हुआ समां..!
बंजर जीवन बंजर रहा,यदि प्यार का नीरद नहीं..!!

एकतरफा हो या एक साथ,बाँध लो ये गाँठ..!
प्यार से ऊँचा कोई कद नहीं..!!

जीवन जी तो लेंगे,ज़हर ग़म का भी पी लेंगे..!
पर प्यार के बिना ज़िन्दगी सुखद नहीं..!!

©SHIVA KANT(Shayar)
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