Nojoto: Largest Storytelling Platform

झील में खिलता इक कमल हो तुम मैं शायर मेरी इक ग

झील में खिलता इक कमल हो तुम
मैं शायर  मेरी   इक  गज़ल हो तुम

जिंदगी भर  बहाओं  कम  न होगा
प्यार के  पानी  ka जलथल हो तूम

कोई कमी नहीं  निकाल सकता मैं
सर से  पांव तक मुकम्मल हो तुम

कैसे नजर  हटाऊ  अपनी तुझ से
जिता जागता  ताज महल हो तुम

जरा सी ही बात पर रुठ जाती हो
लगता है  थोड़ी सी पागल हो तुम

बिना तेरे मैं कैसे गुजारु ये जिंदगी
मेरी  जिंदगी  का  हर  पल हो तुम A ghazal in his memory
झील में खिलता इक कमल हो तुम
मैं शायर  मेरी   इक  गज़ल हो तुम

जिंदगी भर  बहाओं  कम  न होगा
प्यार के  पानी  ka जलथल हो तूम

कोई कमी नहीं  निकाल सकता मैं
सर से  पांव तक मुकम्मल हो तुम

कैसे नजर  हटाऊ  अपनी तुझ से
जिता जागता  ताज महल हो तुम

जरा सी ही बात पर रुठ जाती हो
लगता है  थोड़ी सी पागल हो तुम

बिना तेरे मैं कैसे गुजारु ये जिंदगी
मेरी  जिंदगी  का  हर  पल हो तुम A ghazal in his memory
kalpitsing4485

Kalpit Singh

New Creator