उत्तरायण हो गया हो जैसे सच में ही। पीताम्बर दिख गया एक क्षण में ही।। कोई ठिकाना न था तुम्हारी प्रसन्नता का "मनु", विश्वास नहीं हुआ, सहज देख रहा हूँ मैं ही।। उत्तरायण शुभ मङ्गल