आज फिर एक लम्हा टपक के वक़्त के दरिया में बहगया मांगे हमारे अभी भी किस्मत वही है बस शायद कहीं मेहनत से चुकगया प्रतिकूल इन हालातों के झोंकोमे मैंने खुदको रोकलिया रणछोड़ तो कान्हा भी कहलाता हैं हमने बस वक़्त के साथ कुछ समझोता करलिया । पर ये समझोते की सरकार कब तक टिक पायेगा होसले अब बुलंद फिर से हो रही है वक़्त आने पे वक़्त का दरिया भी मंजिलों की तरफ बहेगा और एक नाव हमारा भी उसपे तेहरेगा । #life #hindi #motivation #manzil