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तन्हा रातों में बहुत रुलाती है जुदाई तेरी, बुझती न

तन्हा रातों में बहुत रुलाती है जुदाई तेरी,
बुझती नहीं आग सीने में लगायी तेरी,
तुम कहते थे बिछड़ कर मैं सुकून पा लूंगा,
फिर क्यों रोती है मेरे दर पर तन्हाई तेरी।

©Kumar Vinod
  मेरे दर पर तन्हाई तेरी

मेरे दर पर तन्हाई तेरी #Shayari

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