सुकूँ की जिंदगी जीने नहीं देते हैं लोग,ज़ख्म देते हैं मग़र सीने नहीं देते हैं लोग,क्या क्या जतन कराते हैं मुझसे ; प्यास लगती हैं मग़र पानी पीने नहीं देते हैं लोग। #ज़ुल्म