"व्याकरण" क्रमशः 03 श्रीशास्त्वाअवतु माअपोह, दत्तात् ते मेअपि शर्म सः ! स्वामी ते मेअपि स हरि:,पातु वाम अपि नौ विभु: !! सुखं वां नौ ददात्वीस:,पतिर वाम अपि नौ हरि: ! सोअव्याद वो न: शिवं वो नो,दद्यात सेव्योअत्र वः स नः !! श्री हरि विष्णु इस संसार में मेरी और तेरी रक्षा करे ! वह मुझे और तुझे सुख दे ! वह विष्णु तेरा और मेरा भी स्वामी है ! वह विभु तुम दोनों और हम दोनों की रक्षा करे ! वह ईश्वर तुम दोनों और हम दोनों को सुख दे ! वह हरि तुम दोनों और हम दोनों का स्वामी है वह तुम्हारी और हमारी रक्षा करे ! वह तुम्हें और हमें सुख दे ! वह इस संसार में तुम सभी का और हम सभी का सेव्य है ! 🌞☕#पंछी☕☕🍹#पाठक🤓😃😀😄#व्याकरण🍧🍑💞#शिक्षा💕🙏 #भारतीय 🙏🌷🌹🌸#हरेकृष्ण🌺🏵️🌻🌻#संस्कार🐦🍇🍉🍑🍍🔯🕉️🔯 "पूर्वपाणिनि 15 व्याकरण आचार्य" 🔯🕉️🔯🕉️🔯🕉️🔯🕉️🔯🕉️🔯 8.काशकृत्स्नं--- महाभाष्य में आपिशल और पाणिनि शब्दानुशासन के साथ इनका भी उल्लेख मिलता है।बोपदेव ने भी मुख्य 8 व्याकरणों में इनका नाम लिखा है।श्री तत्वविधि में भी इनका ज़िक्र है। 9.रौढि--- आचार्य रौढि का नाम काशिका (06/02/36) में प्रमाण के रूप में मिलता है।महाभाष्य और पतंजलि में भी इनका ज़िक्र है ये धनी गुरुजी थे इसलिए अपने शिष्यों को घी खिलाया करते थे ।घी खाने के लिए ही कुछ लोग इनके शिष्य बन जाते थे । 10.चारायण--- चारणीय संहिता इनका ग्रंथ था जो अप्राप्य है !महाभाष्य और कश्मीर से प्राप्त 'चारायणी शिक्षा"में इनका उल्लेख डॉ. कीलहोर्न ने किया है ।कहावत है कि ये अपने शिष्यों को कम्बल देते थे । 11.माध्यन्दिनि--- इनकी लघु और बृहत शिक्षाओं को पाणिनि ने ग्रहण किया और बहुत से शब्दों की परिभाषाएं ली है । 12.वैयाघ्रपद्य--- महाभारत के अनुशासन पर्व में इन्हें महर्षि वशिष्ठ का पुत्र बताया गया है।