आया है उतर मनमानी पे, ये ना जाने कब संभलेगा। ये तुम पर मर मिटा नहीं, अपना निर्णय अब बदलेगा। सहते रहते तकलीफ जमाने भर की, पर ना जाने क्यों? दर्द मुहब्बत का क्या है, आवारा दिल कब समझेगा? ✍️परेशान✍️ ©Jitendra Singh #awaradil