राह-ए-मोहब्बत पर कदम रखा ही था कि सोचा तुमसे एक दफा मुखातिब तो हो जाए, देखकर तेरा हुस्न-ओ-शवाब ऐसा अंजाम हुआ कि राही फिर कभी आगे न बढ़ सका। #राह_ए_मोहब्बत #कदम #मुखातिब #अंजाम_ए_इश्क #हुस्न_ओ_शबाब