ना जाने क्यूँ तुम ख्वाबों में और भी खूबसूरत दिखते हो इतने कि मेरे अधर बिना किसी धूप खिल उठते हों इतना कि आँखें बिना किसी स्वप्न कहीँ खो सी गयी हों इतना कि मेरी धड़कनें तुम्हारा सार मुझमें गाने लगी हों इतना कि मेरे कदम उठते भी हैं तो बस तुम तक जाने को इतना कि मेरे हाथों की लकीरें तुम्हारा भविस्य दर्शा रही हों या इतना कि मुझमे कुछ मेरा रहा ही ना हो। #मुख्तसर#एहसास