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कोई मिले इस तरह कि फिर जुदा न हो, समझे मेरा मिजाज

कोई मिले इस तरह कि फिर जुदा न हो,
समझे मेरा मिजाज और कभी नाराज़ न हो,
अपने एहसास से बाँट ले सारी तन्हाई मेरी,
इतनी मोहाब्बत दे जैसे  पहले किसी ने किसी सें की  न हो।

©shivaji kushwaha mree sanam
कोई मिले इस तरह कि फिर जुदा न हो,
समझे मेरा मिजाज और कभी नाराज़ न हो,
अपने एहसास से बाँट ले सारी तन्हाई मेरी,
इतनी मोहाब्बत दे जैसे  पहले किसी ने किसी सें की  न हो।

©shivaji kushwaha mree sanam