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घर से अब ना निकलें बाहर बस उम्मीदें

घर से अब ना निकलें बाहर
               बस उम्मीदें तुमसे सारी
 जलते दीपक हो उस घर के
             क्या जान तुम्हें नहीं है प्यारी.....
 मां के आंखो के तारे हो
              पत्नी के संसार हो तुम 
     पापा के दिल के टुकड़े हो
             बहनों का त्योहार हो तुम
        फिर क्यों मनमानी करते हो 
                   कहीं हाथ ना आए लाचारी
        घर से अब ना निकलें बाहर
                    बस उम्मीदें  तुमसे सारी......
 कोरोना से जीतेंगे जब 
                     मिलकर साथ निभाएंगे
          जागरूकता फैला कर सबको
                          इसको भी भगाएंगे     
           माना कि काम बहुत पड़े है 
                      ये भी तो एक जिम्मेदारी               
              घर से अब ना निकलें बाहर
                    बस उम्मीदें  तुमसे सारी......
                     मनीष यादव (writer) ghar se na nikale bahar....korona
घर से अब ना निकलें बाहर
               बस उम्मीदें तुमसे सारी
 जलते दीपक हो उस घर के
             क्या जान तुम्हें नहीं है प्यारी.....
 मां के आंखो के तारे हो
              पत्नी के संसार हो तुम 
     पापा के दिल के टुकड़े हो
             बहनों का त्योहार हो तुम
        फिर क्यों मनमानी करते हो 
                   कहीं हाथ ना आए लाचारी
        घर से अब ना निकलें बाहर
                    बस उम्मीदें  तुमसे सारी......
 कोरोना से जीतेंगे जब 
                     मिलकर साथ निभाएंगे
          जागरूकता फैला कर सबको
                          इसको भी भगाएंगे     
           माना कि काम बहुत पड़े है 
                      ये भी तो एक जिम्मेदारी               
              घर से अब ना निकलें बाहर
                    बस उम्मीदें  तुमसे सारी......
                     मनीष यादव (writer) ghar se na nikale bahar....korona
manishyadav7155

Manish Yadav

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