मै चांद और गुफ्तगू # Part 2.... वो जो बहुत सुलझे हुये हैं दिखते असलियत में जीवन की पहलियो में उलझे है रहते..... चांद मै भी दाग है फिर भी चांदनी बिखरता है मुश्किलों से घिरा चेहरा भी बहुत मुस्कुराता है.... यूँ तो तारो भरे आसमां में चांद अकेला ही चमकता है अपने पूर्णिमा से अमावस्या की घट और बढ वही निभाता है देखने वाले कहते हैं चतुर्थी को चांद पूजा जाता है एक मिथ्या मरिचिका को वो भी अपनाता है मै और मेरा चांद दोनों एक से है हर पल जगमगाते है अमावास्या की काली रात भी जी जाते हैं पुर्णिमा की पूर्णता में फिर चांदनी संग इठराते है.... ©Yogita Harne main chand aur guftgu....part 2 #moonlight