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जीवन के जो पल बीते हैं, मेरे पिता की छाँव में। काँ

जीवन के जो पल बीते हैं, मेरे पिता की छाँव में।
काँटा तक चुभने न दिया, उन्होंने कभी मेरे पाँव में।

उनके चेहरे की चमक से, रोशन मेरा जीवन था।
ख़ुशियों ने था डाला डेरा, मेरे गली और गाँव में।

काँधे पर उनके बैठकर, जीवन के कई मेले देखे।
अब तो जीवन बीत रहा, हर पल ही बदलाव में।

सहारे से चलना सिखाया, राह दिखाई जीवन की।
खेल खिलौने सब मिलते थे, रहते थे हम उराव में।

बचपन की मस्ती में हमारे, रहते थे वो शामिल भी।
खूब ख़ुशियाँ पाई हमने, उनके प्यार और लगाव में।

तूफानों से कश्ती निकालना, उन्होंने ही सिखलाया।
पार कर लेंगे सारे दरिया, अब जीवन की इस नाव में।

आशीर्वाद है पिता का हमपे, हर मुश्किल करते पार।
जीवन बीत रहा है अब, उनकी दुआओं के ठहराव में। ♥️ Challenge-605 #collabwithकोराकाग़ज़

♥️ Happy Father's Day ♥️

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) 

♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए।
जीवन के जो पल बीते हैं, मेरे पिता की छाँव में।
काँटा तक चुभने न दिया, उन्होंने कभी मेरे पाँव में।

उनके चेहरे की चमक से, रोशन मेरा जीवन था।
ख़ुशियों ने था डाला डेरा, मेरे गली और गाँव में।

काँधे पर उनके बैठकर, जीवन के कई मेले देखे।
अब तो जीवन बीत रहा, हर पल ही बदलाव में।

सहारे से चलना सिखाया, राह दिखाई जीवन की।
खेल खिलौने सब मिलते थे, रहते थे हम उराव में।

बचपन की मस्ती में हमारे, रहते थे वो शामिल भी।
खूब ख़ुशियाँ पाई हमने, उनके प्यार और लगाव में।

तूफानों से कश्ती निकालना, उन्होंने ही सिखलाया।
पार कर लेंगे सारे दरिया, अब जीवन की इस नाव में।

आशीर्वाद है पिता का हमपे, हर मुश्किल करते पार।
जीवन बीत रहा है अब, उनकी दुआओं के ठहराव में। ♥️ Challenge-605 #collabwithकोराकाग़ज़

♥️ Happy Father's Day ♥️

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