हर बरस बाहर जलते रावण बरस- दर- बरस भीतर बढ़ते रावण! बाहरी शत्रु से पहले भीतर के शत्रुओं का संहार करें हम स्वार्थ, अनैतिकता, वासना, लोभ और अहंकार का खात्मा करें हम तो बाहर, शत्रुओं की भीड़ स्वतः कम हो जाएगी! देश और संस्कृति का अपमान करने वाले, नारीत्व पर आघात करने वाले भेड़ियों और हैवानों को जलाने के लिए, खुद ही राम बन जाएं क्यों ताकें किसी और का मुख??? ©अंजलि जैन #क्यों ताकें किसी और का मुख?#२५.१०.२० #Dussehra2020