मुश्किल में अडिग तुम खड़ी रहो करती हम सब की सुरक्षा हो कभी कमजोर न समझना खुद को नारी! तुम हम सबकी श्रद्धा हो। त्याग त्याग कर खुद की इच्छा सभी इच्छा तुम पूर्ण करो कभी निराश न समझना खुद को नारी! तुम हम सबकी श्रद्धा हो। माँ तुम से, बहन तुम से और है तुमसे ये पूर्ण संसार बना कभी कम न समझना खुद को नारी! तुम हम सबकी श्रद्धा हो। (अनुशीर्ष में पढ़े ) जो दिया अवतरण धरती पर उसका जीवन भर आभार बना कभी पीछे न समझना खुद को नारी! तुम हम सबकी श्रद्धा हो। तुम तेज ओज से भरी हो नारी तुमसे जीवन का संचार बना कभी निर्बल न समझना खुद को