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बुढ़ापे में जो हो जाए उसे प्यार कहते हैं जवानी की

बुढ़ापे में जो हो जाए उसे प्यार कहते हैं 
जवानी की मुहब्बत को फकत व्यापार
 कहते हैं जो सस्ती है मिले हर ओर उसका 
नाम महंगाई न महंगाई मिटा पाए उसे 
सरकार कहते हैं जो पहुंचे बाद चिट्ठी के 
उसे हम तार कहते हैं जो मारे डाक्टर को 
हम उसे बीमार कहते हैं जो धक्का खाकर
 चलती है उसे हम कार मानेंगे न धक्के से 
भी जो चलती उसे सरकार कहते हैं... 
-गोपाल प्रसाद व्यास

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