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निरस्त-निराकृत-निराकरण कर दिया जीवन से औऱ चल पड़ी अ

निरस्त-निराकृत-निराकरण कर दिया जीवन से औऱ चल पड़ी अंजान राहें,

सब मोह-तृष्णा-इच्छायें-लालसा त्याग कर कुछ नवाचार को तरसती निगाहें,

समस्त संसार में मानवता-इंसानियत का खेल ख़त्म कर दिया गया है,

पाने को एक दूजे का तनिक प्यार-दुलार-स्नेहस्व सुनी पड़ी है बाँहे।

 🌝प्रतियोगिता- 06🌝
✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌷"अंजान राहें" 🌷

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृपया केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I 

🌟 पहले सावधानी पूर्वक "CAPTION" पढ़ें और दिए हुए शब्द को ध्यान में रखते हुए अपने ख़ूबसूरत शब्दों एवं भावों के साथ अपने एहसास कहें।
निरस्त-निराकृत-निराकरण कर दिया जीवन से औऱ चल पड़ी अंजान राहें,

सब मोह-तृष्णा-इच्छायें-लालसा त्याग कर कुछ नवाचार को तरसती निगाहें,

समस्त संसार में मानवता-इंसानियत का खेल ख़त्म कर दिया गया है,

पाने को एक दूजे का तनिक प्यार-दुलार-स्नेहस्व सुनी पड़ी है बाँहे।

 🌝प्रतियोगिता- 06🌝
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🌷"अंजान राहें" 🌷

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृपया केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I 

🌟 पहले सावधानी पूर्वक "CAPTION" पढ़ें और दिए हुए शब्द को ध्यान में रखते हुए अपने ख़ूबसूरत शब्दों एवं भावों के साथ अपने एहसास कहें।