ये प्रेम की धारा किसी के रोकने से कहाँ रुकती है खुद के अस्तित्व वो सागर के आगोश में खो देती है उसकी गहराईयों में वो चाहती है डूबना उससे मिलन के ही इंतज़ार में वो रहती है ये प्रेम की धारा किसी के रोकने से कहाँ रुकती है खुद के अस्तित्व वो सागर के आगोश में खो देती है उसकी गहराईयों में वो चाहती है डूबना उससे मिलन के ही इंतज़ार में वो रहती है #rztask218 #restzone #rzलेखकसमूह