Maa ममता के सागर से भरी तुझे लफ्जो से बयाँ करना मुमकिन कहाँ तेरे बिन तो बंजर-ए-रेगिस्तान सा लगता है ये सम्पूर्ण जहाँ जहाँ पापा लगाते है सवालों की झड़ी,वहा बन खड़ी होती है ढाल पल भर में करा देती है शांत, फैलाकर अपने ममता का जंजाल अपने लहू के एक-एक कतरा तज कर बड़ी सन्ताप से है सींचा जैसे एक-एक धागे को सींच कर बुना जाता है सम्पूर्ण गलीचा मेरी तो जन्नत बसती है तेरी अकलुश आँचल में जैसे काया को शीतलता मिलती है हिमाचल में मेरा सारा अस्तित्व सिमटा है तेरे चरणों के रज में वैद्य बनकर सदा सृजित करती हो जो हर एक मर्ज में मेरे सोने के लिए सदा बन जाती हो जमीन पर बिछौना आज भी जीवंत है बचपन के मेले में खरीदा सब खिलौना बच्चा बन आँचल में सो कर जन्नत की फिजा में खोना चाहता हूँ बचपन वाला खोए प्यार का ओहदा फिर से वापस पाना चाहता हूँ। ✍️आशुतोष यादव #mothers_day_special #Mother❤❤ #माँ_का_आँचल#nojoto_poetry#nojoto_hindi #nojoto_english_nojoto_writes sheetal pandya मेरे शब्द Chanchal.........