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एक अजीब सा दर्द उठा है सीने में जब याद उसकी आई बह

एक अजीब सा दर्द उठा है सीने में 
जब याद उसकी आई बहुत राय में उसके लिए
मगर वह लौट के नहीं आई
शायद कुछ कमियां मुझ में थी
पैसा पैसा दौलत रुतबा पास नहीं था कुछ

चला था खाली हाथ मोहब्बत करने
मगर उसे मुझ में पसंद नहीं था कुछ धीरे-धीरे वक्त गुजरने लगा
मैं भी अपने कामयाबी हासिल करने लगा
हां एक दौर ऐसा आया
जो ख्वाबों में देखा था वह सच होने लगा
हजारों मैसेज में एक मैसेज उसका भी था
जिस तरह उसने मुझे इग्नोर किया था
कामयाब हो तो इंसान पूछता है कैसे हो तुम
अगर कुछ भी नहीं पास से तो कोई नहीं पूछता कैसे हो तुम

©Rahul Raj
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rahulraj5070

Rahul Raj

Bronze Star
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