Alone जाता हु कही भी, रेहता है मेरे साथ । हाँ, तूही जिसको ढूंढ रहा हे मेरा हाथ । कोइ गाँव, शहर, गली हो या महोल्ला । कोइ मोल, दुकान या हो गल्ला । सोचता रेहता हू यूही निठल्ला । यहाँ होगी क्या मेरी लेला ! जाता हु पेदल, बस सें या कार । फिर हो धूप, ठंड या बारिस की बौछा़र । और जब खेलु, कुदु या होता हे बुखार । तब भी सून ना चाहता हू उसी की पुकार । ढूंढे दील तुजे हर जगह भी, मुवी देखे तो हिरोइन में भी, और साइड हिरोइन में भी । क्रिकेट के स्टेडीयम में भी, और सच पूछो तो, PUBG के PREMATCH में भी। अगर देख के अन्दा़झ कीसी के, हो जाता दिल हे फिसल । मिनट बिते नही के, अलादीन के चिराग से उसका BF आता हे निकल । अब सब छो़ड के, मंदीर में मिल जाऐ । ऐसी भी PRAY होती है। ये तो हद हो गयी ना यार, "इस सें अच्छा तो कोइ स्त्री ले जाए यार।" Jatingamitt@gmail.com insta@ _jatingamit_ जाता हु कही भी