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मुसाफ़िर हूँ इस ज़माने में, निकल पड़ा हूँ मंज़िल की त

मुसाफ़िर हूँ इस ज़माने में, 
निकल पड़ा हूँ मंज़िल की तलाश में, 
भटकता फिरा दरबदर खुशियों की आश में...
~अकबर~ फ़िरता हूँ दरबदर
मुसाफ़िर हूँ इस ज़माने में, 
निकल पड़ा हूँ मंज़िल की तलाश में, 
भटकता फिरा दरबदर खुशियों की आश में...
~अकबर~ फ़िरता हूँ दरबदर

फ़िरता हूँ दरबदर