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कैसे संभालते होंगे टुकड़े, वो अपने बिखरे प्यार के?

कैसे संभालते होंगे टुकड़े, वो अपने बिखरे प्यार के? 
कैसे जीते होंगे बन ज़िन्दा लाश, साथ ऐसे ख़्वार के?

काश! होता आसान उनके लिए माज़ी को भूल जाना, 
कैसे मुस्कुराते होंगे, वो दर्द, ज़ख़्म को यूँ  बिसार के? 

बीच राह में छोड़ते साथ  ता-उम्र का वादा करने वाले, 
कैसे रह पाते होंगे उनके बिना, अपना सब निसार के? 

कभी क़रीबी कहलाने वाले, रह जाते हैं बनकर मज़ाक, 
कैसे सहते होंगे सितम भी, चिढ़ाती उसकी निगार के? 

बने किसी का मरहम, अपने बस की बात कहाँ है 'धुन', 
कैसे पाते होंगे वो भी राहत,बिना किसी ग़म-गुसार के?  ख़्वार- Dishonour, Shame
माज़ी- Past
बिसार- Forget
निगार- Picture 
ग़म-गुसार- हमदर्द

Rest Zone आज का शब्द- 'लाश'
कैसे संभालते होंगे टुकड़े, वो अपने बिखरे प्यार के? 
कैसे जीते होंगे बन ज़िन्दा लाश, साथ ऐसे ख़्वार के?

काश! होता आसान उनके लिए माज़ी को भूल जाना, 
कैसे मुस्कुराते होंगे, वो दर्द, ज़ख़्म को यूँ  बिसार के? 

बीच राह में छोड़ते साथ  ता-उम्र का वादा करने वाले, 
कैसे रह पाते होंगे उनके बिना, अपना सब निसार के? 

कभी क़रीबी कहलाने वाले, रह जाते हैं बनकर मज़ाक, 
कैसे सहते होंगे सितम भी, चिढ़ाती उसकी निगार के? 

बने किसी का मरहम, अपने बस की बात कहाँ है 'धुन', 
कैसे पाते होंगे वो भी राहत,बिना किसी ग़म-गुसार के?  ख़्वार- Dishonour, Shame
माज़ी- Past
बिसार- Forget
निगार- Picture 
ग़म-गुसार- हमदर्द

Rest Zone आज का शब्द- 'लाश'