जिसमे ह्रदय का घाव दिखे। जो जनमानस का भाव गढ़े। जो नव चेतन का सृजन करे। जिसको सुन धीरज मन धरे। जिसमे न अर्थ का खोट रहे। जो हर कुरीति पर चोट रहे। जो स्वप्न की एक परिभाषा हो। जिसमे बस प्रेम की भाषा हो। जिसमे राष्ट्र समर्पित रीत भी हो। जो बलिदानों के गीत भी हो। जो हर मन को संबल देता हो। जो अरमानों को बल देता हो शब्द जहाँ मर्यादित हो। सुन जिसको मन आह्लादित हो। जहाँ गर्व का भाव भी हो। जो सर्व धर्म समभाव भी हो। वो कविता कहीँ नदारद है। वो कविता कहीँ नदारद है।। - क्रांति #नदारद #क्रांति