पल - पल बीत रही है ये जिंदगी तो क्या आंखों में कुछ ख़्वाबों को सजा के रखा है, अभी आधे अधूरे ख़्वाब ही पूरे हुए हैं जिंदगी में तो क्या हौसलों को जगा के रखा है। उलझे ही रहते हैं हम जिंदगी की कश्मकश में फिर भी अपने ख़्वाबों को नहीं भूले हैं, हौले-हौले ही सही मिलेगी अपने ख़्वाबों की मंजिल दिल को ये समझा कर रखा है। A challenge by Collab Zone🌟 ✔️समय - 15 मार्च शाम 5 बजे तक ✔️ 4-6 पंक्तीयो में ही रचना लिखनी है । ✔️Collab करने के बाद कमेंट में done लिखना है । वरना हमारी नजरों से आपकी रचना छूट सकती हैं ।