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जो जागती आँखों से देखती थी रात के आख़िरी पहर में व

जो जागती आँखों से देखती थी
 रात के आख़िरी पहर में
वहीं चाहत की धूप हो तुम..
छटपटाती संवेदनायें और तृष्णाऐ, 
इच्छाएं और वो तमाम सपनें हो तुम..!

जिसके अक्षर अक्षर..,,..
शब्द शब्द....,,मेरी वजूद को उजाले का अर्थ दे..
जो मेरे भीतर रहकर,
 मेरे कविता को अल्फ़ाज़ दे..
इस नादान सी दुनिया में,,
 मेरे ख़्वावों को सच्चाई की दिशा दे..
भूखे मेरे जिस्म को अपने प्यार की तपिश दे..
वो कल्पनाओं का चादर हो तुम..!!

©Rishnit❤️ #चाहतकीधूप 
#वजूद
#संवेदना 
#NojotoWriters 

Pramodini Mohapatra Priya Gour sonu pareek sunayana jasmine Jyoti Duklan Swati Tyagi
जो जागती आँखों से देखती थी
 रात के आख़िरी पहर में
वहीं चाहत की धूप हो तुम..
छटपटाती संवेदनायें और तृष्णाऐ, 
इच्छाएं और वो तमाम सपनें हो तुम..!

जिसके अक्षर अक्षर..,,..
शब्द शब्द....,,मेरी वजूद को उजाले का अर्थ दे..
जो मेरे भीतर रहकर,
 मेरे कविता को अल्फ़ाज़ दे..
इस नादान सी दुनिया में,,
 मेरे ख़्वावों को सच्चाई की दिशा दे..
भूखे मेरे जिस्म को अपने प्यार की तपिश दे..
वो कल्पनाओं का चादर हो तुम..!!

©Rishnit❤️ #चाहतकीधूप 
#वजूद
#संवेदना 
#NojotoWriters 

Pramodini Mohapatra Priya Gour sonu pareek sunayana jasmine Jyoti Duklan Swati Tyagi