मेरे हिस्से में आयीं नसीहतों को समेटता रहा हूँ मैं अपनी उम्र से बढकर भी बातें सोचता रहा हूँ क्यूँ मेरे लबों पे मुझी को लेकर सवाल पैदा हुए क्या करने आया था और क्या करता जा रहा हूँ और सुनने वाले भी कम ही नसीब हुए मुझको सो मैं अपना दुख नींद में बोलता आ रहा हूँ इक सिक्का उछाला था मैंने जिंदगी के नाम पर फिर उसके बाद से ही फकत उसे ढूँढ़ता रहा हूँ फ़िराक़ मेरे हिस्से के पेड़ भी बाँझ ही रहे सो मैं अपनें हिस्से की मिट्टी ढोता रहा हूँ prince_firaaq मेरे हिस्से की नसीहतें #feather