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किसी को हर पल याद करना किसी के सुख-दुख का ख्याल रख

किसी को हर पल याद करना
किसी के सुख-दुख का ख्याल रखना
किसी से अपनी हर बात साझा करना
किसी का अपनों से अपना लगना
क्या यही प्यार है?
या ये महज़ आकर्षण का भाव है?

किसी की ख़ुशी में खिलखिलाना
किसी के दर्द से आंसू निकल आना
हर सांस पर उसी का नाम रखना
उसके बगैर कोई लम्हा न बिताना
क्या यही प्यार है?
या ये महज़ आकर्षण का भाव है?

जब कोई पराया अपना-सा लगे
जो हर चीज़ मुझसे साझा करें
जिसके बगैर सब सूना-सा लगे
जिसके बिना जीवन अधूरा-सा लगे
क्या यही प्यार है?
या ये महज़ आकर्षण का भाव है?

जिसकी हर बात अच्छी लगती है
जिससे मिलने पर वक्त थमने की इच्छा होती है
जिसकी सलामती की दुआओं से लब सजती है
क्या इसी का नाम प्यार है??
या ये महज़ आकर्षण का भाव है??? #क्या_यही_प्यार_है?
किसी को हर पल याद करना
किसी के सुख-दुख का ख्याल रखना
किसी से अपनी हर बात साझा करना
किसी का अपनों से अपना लगना
क्या यही प्यार है?
या ये महज़ आकर्षण का भाव है?
किसी को हर पल याद करना
किसी के सुख-दुख का ख्याल रखना
किसी से अपनी हर बात साझा करना
किसी का अपनों से अपना लगना
क्या यही प्यार है?
या ये महज़ आकर्षण का भाव है?

किसी की ख़ुशी में खिलखिलाना
किसी के दर्द से आंसू निकल आना
हर सांस पर उसी का नाम रखना
उसके बगैर कोई लम्हा न बिताना
क्या यही प्यार है?
या ये महज़ आकर्षण का भाव है?

जब कोई पराया अपना-सा लगे
जो हर चीज़ मुझसे साझा करें
जिसके बगैर सब सूना-सा लगे
जिसके बिना जीवन अधूरा-सा लगे
क्या यही प्यार है?
या ये महज़ आकर्षण का भाव है?

जिसकी हर बात अच्छी लगती है
जिससे मिलने पर वक्त थमने की इच्छा होती है
जिसकी सलामती की दुआओं से लब सजती है
क्या इसी का नाम प्यार है??
या ये महज़ आकर्षण का भाव है??? #क्या_यही_प्यार_है?
किसी को हर पल याद करना
किसी के सुख-दुख का ख्याल रखना
किसी से अपनी हर बात साझा करना
किसी का अपनों से अपना लगना
क्या यही प्यार है?
या ये महज़ आकर्षण का भाव है?