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चले थे कहाँ और कहाँ पहुँचे हम पता ही न चला,कब सुबह

चले थे कहाँ और कहाँ पहुँचे हम
पता ही न चला,कब सुबह से शाम हो गयी

दूरियाँ तय की मीलों की या सदियों की
पता ही न चला, कब ज़िंदगी की शाम हो गयी

ख़ता की सज़ा ख़ोजते ही रहे औरों के लिए हम
पता ही न चला, कब रज़ा अपनी ही, सज़ा हो गयी

निकले तो थे इरादों के साथ सीना तानकर अपना
पता ही न चला कब कंधों से झुके और निगाहें नीची हो गयीं

ग़ुमान था बहुत,जोड़ा बहुत कुछ,संग-साथ ले जाने के लिए
पता ही न चला,कब खाली हाथ हो गये,सफ़र की शाम हो गयी

चले थे कहाँ और कहाँ पहुँचे हम
पता ही न चला,कब ज़िंदगी की वो शाम आ गयी
🌹 देखते-देखते मेरे
सफ़र की शाम हो गई।
#सफ़रकीशाम #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
चले थे कहाँ और कहाँ पहुँचे हम
पता ही न चला,कब सुबह से शाम हो गयी

दूरियाँ तय की मीलों की या सदियों की
पता ही न चला, कब ज़िंदगी की शाम हो गयी

ख़ता की सज़ा ख़ोजते ही रहे औरों के लिए हम
पता ही न चला, कब रज़ा अपनी ही, सज़ा हो गयी

निकले तो थे इरादों के साथ सीना तानकर अपना
पता ही न चला कब कंधों से झुके और निगाहें नीची हो गयीं

ग़ुमान था बहुत,जोड़ा बहुत कुछ,संग-साथ ले जाने के लिए
पता ही न चला,कब खाली हाथ हो गये,सफ़र की शाम हो गयी

चले थे कहाँ और कहाँ पहुँचे हम
पता ही न चला,कब ज़िंदगी की वो शाम आ गयी
🌹 देखते-देखते मेरे
सफ़र की शाम हो गई।
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