करती नारी परिश्रम ,देती पति का साथ । सुख दुख में संग रहती , छोड़ती नहीं हाथ । छोड़ती न वो हाथ , बसती जां परिवार में पूर्ण अधूरी ख्वाब, खुर्शी की तलाश उनमें कर्मठता पहचान, न कभी भूख से मरती । नारी घर की नींव, हर दिन परिश्रम करती ।। नारी से रंग जीवन के