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वाह रे इंसान तू क्यों घबराता है , गुनाह करके भूल ज

वाह रे इंसान तू क्यों घबराता है ,
गुनाह करके भूल जाता है !
जरा सी नेकी कर ले अगर तो
तू खुद का गुणगान गाता है !

वाह रे इंसान तू क्यों स्वांग रचाता है,
मंदिरों में भगवान को मानने का ढोंग करता है,
घर मे माँ-बाप को तू रोज़ रुलाता है !!
वाह रे इंसान !!

वाह रे इंसान तू क्यों भाव खाता है,
कभी दौलत कभी झूठी शोहरत 
पर तू क्यों इतराता है ,
मिट्टी का तन है, मिट्टी में मिलना है
ये तू क्यों भूल जाता है !!

वाह रे इंसान क्यों रो कर दिखाता है,
दुनियां में लोगों के पास गम कितना है,
धरती किसी का बिछोना है, और
आसमाँ किसी की छत है ,देख न तू
फिर भी ये दुनियां कितनी सख्त है !!

वाह रे इंसान तू क्यों घबराता है,
दिल खोल के हँसना सीख ले,
रोते हुए के हँसने के वजह बन जा,
फिर देख ये जीवन कितना आसान हो जाता है,

©Asmita Singh #इंसान #AsmitaSingh
वाह रे इंसान तू क्यों घबराता है ,
गुनाह करके भूल जाता है !
जरा सी नेकी कर ले अगर तो
तू खुद का गुणगान गाता है !

वाह रे इंसान तू क्यों स्वांग रचाता है,
मंदिरों में भगवान को मानने का ढोंग करता है,
घर मे माँ-बाप को तू रोज़ रुलाता है !!
वाह रे इंसान !!

वाह रे इंसान तू क्यों भाव खाता है,
कभी दौलत कभी झूठी शोहरत 
पर तू क्यों इतराता है ,
मिट्टी का तन है, मिट्टी में मिलना है
ये तू क्यों भूल जाता है !!

वाह रे इंसान क्यों रो कर दिखाता है,
दुनियां में लोगों के पास गम कितना है,
धरती किसी का बिछोना है, और
आसमाँ किसी की छत है ,देख न तू
फिर भी ये दुनियां कितनी सख्त है !!

वाह रे इंसान तू क्यों घबराता है,
दिल खोल के हँसना सीख ले,
रोते हुए के हँसने के वजह बन जा,
फिर देख ये जीवन कितना आसान हो जाता है,

©Asmita Singh #इंसान #AsmitaSingh
asingh5445104082603

Asmita Singh

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