White मन के जज़्बातों को समझा चुकी थी मैं हर अरमान पूरे नहीं होते ये समझ खुद ही मुस्कुरा चुकी थी मैं मन के भाव भी रूठने लगे थे जो है जैसा है उसी में सामंजस्य कर चुकी थी मैं न अब बात थी न मुलाकात थी न लगाव न अलगाव सब भूल चुकी थी मैं Laghima ✍️🏻 ©आगाज़ #sad_quotes amit pandey