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पैर में चप्पल नहीं थी, बदन पर कमीज फटी थी। वो सोने

पैर में चप्पल नहीं थी,
बदन पर कमीज फटी थी।
वो सोने सी पीली धूप में निकल पड़ा था घर को,
परदेस की माटी उसको जमीं नहीं थी।
जो बस गया था कहीं दूर कमाने को खुशियां,
आज समेटने को गम 
उसके पास कोई टोकरी नहीं थी।
बीवी को सोने के कंगन का वादा किया था,
बच्चों के खिलौनों की फरमाइशें लिखीं थीं,
मां को तीरथ कराने का आसरा दिया था,
बाप को शान की सवारी के सपने दिखाए थे।
इन सब जिम्मेदारियों के बोझ के तले,
बेसुध हो गिर पड़ा है सड़क के किनारे,
जो सबकी सांसों की डोर थामे चला था,
फिर न उठा क्योंकि उसमें सांसें नहीं थी। P.C :- indiatoday.in
#migrants
#valueoflife_reality
#painttheworld 
#yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqtales #yqdiary
पैर में चप्पल नहीं थी,
बदन पर कमीज फटी थी।
वो सोने सी पीली धूप में निकल पड़ा था घर को,
परदेस की माटी उसको जमीं नहीं थी।
जो बस गया था कहीं दूर कमाने को खुशियां,
आज समेटने को गम 
उसके पास कोई टोकरी नहीं थी।
बीवी को सोने के कंगन का वादा किया था,
बच्चों के खिलौनों की फरमाइशें लिखीं थीं,
मां को तीरथ कराने का आसरा दिया था,
बाप को शान की सवारी के सपने दिखाए थे।
इन सब जिम्मेदारियों के बोझ के तले,
बेसुध हो गिर पड़ा है सड़क के किनारे,
जो सबकी सांसों की डोर थामे चला था,
फिर न उठा क्योंकि उसमें सांसें नहीं थी। P.C :- indiatoday.in
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