तारों के पार एक दुनिया बचपन में हर शाम सूरज ढलने के बाद अक्सर एक खाली विरान मैदान में खड़े हो कर शून्य को निहारता रहता किसी चीज़ की तलाश थी या शायद खुद को कहीं और ढूंढता रहता तारों के उस पार एक अलग दुनिया है हो सकता है यह बस मेरी कल्पना है पर असल हकीकत भी तो धुंध से लिपटी मशाल जैसे झूठे सच में छुपा हुआ है जब बीच रात्रि में नींद टूटती तो लगता था मेरी कल्पना ही हकीकत है और फिर भोर होते होते वो दुनिया कही गुम हो जाता एक नया दिन और वही पुराने सवाल और मैं फिर उस विरान मैदान में खड़े हो कर शून्य को निहारता रहता। ___remaing in next. (Part-2) #galaxy #stars #skylover #bachpan #childhood #mood #universe