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घड़ी की भी एक अपनी कहानी है, चलती है रोज पर मंजिल

घड़ी की भी एक अपनी कहानी है, 
चलती है रोज पर मंजिल पुरानी है। 
कभी न बदले मंजिल अपनी, 
जिसकी नित संघर्ष निशानी है।
वक्त बदलते ही लोगों की घडियां बदल गयी, 
पर बदल सकी न कर्म वो अपना जैसे दुनिया बदल गयी। 
सबमें जीवन एक समझकर सबको समय एक बतलाती है। 
ऊँच नीच सब भेद मिटाकर सबका साथ निभाती है। #घड़ी की भी अपनी एक कहानी है।
घड़ी की भी एक अपनी कहानी है, 
चलती है रोज पर मंजिल पुरानी है। 
कभी न बदले मंजिल अपनी, 
जिसकी नित संघर्ष निशानी है।
वक्त बदलते ही लोगों की घडियां बदल गयी, 
पर बदल सकी न कर्म वो अपना जैसे दुनिया बदल गयी। 
सबमें जीवन एक समझकर सबको समय एक बतलाती है। 
ऊँच नीच सब भेद मिटाकर सबका साथ निभाती है। #घड़ी की भी अपनी एक कहानी है।

#घड़ी की भी अपनी एक कहानी है।