सुरज मल दूँ हाथो मे,किरणो से तुझको नहला दूँ सहर की लाली तु बन के आ,मैं भौरो सा गीत सुना दूँ बादल जैसी जुल्फे तेरी, हों आँखे शबनम का पानी दांत हों तेरे मोती जैसे,होठ हो जैसे सुर्ख गुलाबी सागर के लहरो से बादल को,आ तेरे गेसु मे छुपा दूँ सहर की लाली तु बन कर आ,किरणो से तुझको नहला दूँ तेरे नक्श से चाँद बनाकर,चाँद को तेरा अक्श बनाना दिल की चाह है सरस़ो जैसे तेरे बदन पे रंग सजाना धानी रंग की चूनर को मौसम सा गुलजार बना दूँ पलकों पे तारो को रखकर आ तुझको महताब बना दूँ सहर की लाली तु बन कर आ,किरणो से तुझको नहला दूँ ,सुरज मल दूँ हाथो मे,किरणो से तुझको नहला दूँ।। राजीव मिश्रा"समन्दर" #NojotoQuote