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कुछ बातों पर रुला दिया कुछ एक पर हंसा दिया वो सौदा

कुछ बातों पर रुला दिया
कुछ एक पर हंसा दिया
वो सौदागर ज़ालिम ही था 
मेरे घर का सौदा करा दिया

था मीठा-मीठा सा ज़हर
प्यार कह कर पिला दिया
कुछ रोज़ तुझसे बातें की
इक रोज़ उसने मना लिया

कुछ बदगुमानी थी तेरी
कुछ इश्क़ मेरा लाचार सा
मेरी मोहब्बत का भी पर
क्या खूब किस्सा बना दिया

रूहों का वो सिलसिला
जो था तेरे मेरे दरमियाँ
क्यों वो करीब आया तो
ये शख़्स तूने भुला दिया

मैं तो मुफ़लिस था ही पर
मेरा इश्क़ भी फ़ीका ही था
मेरी क़ुरबतों का हर निशां
दो चार दिन में मिटा दिया --बदगुमानी(शक़, distrustfulness)
--मुफ़लिस( ग़रीब, Poor)

कुछ बातों पर रुला दिया
कुछ एक पर हंसा दिया
वो सौदागर ज़ालिम ही था 
मेरे घर का सौदा करा दिया
कुछ बातों पर रुला दिया
कुछ एक पर हंसा दिया
वो सौदागर ज़ालिम ही था 
मेरे घर का सौदा करा दिया

था मीठा-मीठा सा ज़हर
प्यार कह कर पिला दिया
कुछ रोज़ तुझसे बातें की
इक रोज़ उसने मना लिया

कुछ बदगुमानी थी तेरी
कुछ इश्क़ मेरा लाचार सा
मेरी मोहब्बत का भी पर
क्या खूब किस्सा बना दिया

रूहों का वो सिलसिला
जो था तेरे मेरे दरमियाँ
क्यों वो करीब आया तो
ये शख़्स तूने भुला दिया

मैं तो मुफ़लिस था ही पर
मेरा इश्क़ भी फ़ीका ही था
मेरी क़ुरबतों का हर निशां
दो चार दिन में मिटा दिया --बदगुमानी(शक़, distrustfulness)
--मुफ़लिस( ग़रीब, Poor)

कुछ बातों पर रुला दिया
कुछ एक पर हंसा दिया
वो सौदागर ज़ालिम ही था 
मेरे घर का सौदा करा दिया