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White उलझती रही जिन्दगी रिश्तों के तानों बानों मे

White उलझती रही जिन्दगी
 रिश्तों के तानों बानों में
कभी वक्त अपना सा लगा
 तो कभी बेगाना सा 
बदलते मौसम से बदलते रहे लोग 
ओर उनकी भावनाएं भी ,,

बस ठहरा सा था तो एक दुःख
जो कभी कम होता, तो कभी ज्यादा
उम्मीद की किरण कितनी कच्ची होती है
पल पल,पहर पहर, टूटी होती है,,

हाशिये पर खड़ी जिंदगी
आंसूओं से भीगी होती है।।

और तब कोई नहीं होता साथ खड़ा
उन आसूंओ के मोती चुनने को
और फिर ये मोती बन जाते है 
महज दो बूंद 
पानी

©मेरेख्यालमेरेजज्बात
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