दिल में मुलाक़ात के कई सपने छिपा रक्खे हैं, दीदार-ए-ख़ुश-नज़र के अरमां सज़ा रक्खे हैं, अन्दर मचल रही है आरज़ू शब विसाल की, उसने अपनी आंखों में कई रम्ज़ बसा रक्खे हैं। ©Ajay Choubey #lovetaj subedar