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ना तन है स्वेत, ना मन है कजरारी.. जावत हैं पैदल ग

ना तन है स्वेत,
ना मन है कजरारी..

जावत हैं पैदल गाय चराने,
साथ में रखते नाहीं कौनों सवारी..

माटी में लिपट-लिपट के खेलते गिल्ली-डंडा,
फिर भी मोहित लगते अपने मुरारी..

हैं अलौकिक स्वरूप जिनके,
वो हैं अपने कृष्ण गिरधारी..

©Rohan Raj
  #Janamashtmi2024