Nojoto: Largest Storytelling Platform

अब मेरे अपनों को कुछ ज्यादा शिकायत हो गई । जब मेरे

अब मेरे अपनों को कुछ ज्यादा शिकायत हो गई ।
जब मेरे सरकार की मुझपर इनायत हो गई ।।


जूझता रहता हूं मैं खुद से ही अब तो हर तरह,
टूटना इस दिल का जैसे अब रिवायत हो गई ।।


मैं नहीं बुज़दिल हूं इसको जानता सारा शहर,
बंद हूं एक रेख्ता में ये रियायत हो गई ।।


इस कदर उलझा दिया है प्यार के बाज़ार ने,
लूटा जिसने भी ये दिल उसको किफायत हो गई ।।

©Kumar Vaibhav #ghazal #my #Life #lyrics #kumarvaibhav 

#Alive
अब मेरे अपनों को कुछ ज्यादा शिकायत हो गई ।
जब मेरे सरकार की मुझपर इनायत हो गई ।।


जूझता रहता हूं मैं खुद से ही अब तो हर तरह,
टूटना इस दिल का जैसे अब रिवायत हो गई ।।


मैं नहीं बुज़दिल हूं इसको जानता सारा शहर,
बंद हूं एक रेख्ता में ये रियायत हो गई ।।


इस कदर उलझा दिया है प्यार के बाज़ार ने,
लूटा जिसने भी ये दिल उसको किफायत हो गई ।।

©Kumar Vaibhav #ghazal #my #Life #lyrics #kumarvaibhav 

#Alive