ढाई अक्षर का प्यार, मे कहू या तुम कहो, बात तो एक ही है, हमारे इज़हार की। है तो यह शब्द ढाई अक्षर का, लेकिन ज़ाहिर करने से डर सा लगता है, दिल से निकल कर जुबा पर आ तो जाता है, लेकिन तुझे खोने के डर से, ख़ामोश हो जाते हैं मेरे अल्फ़ाज। इस ढाई अक्षर के प्यार में, छुपी होती है जिंदगी की खुशियाँ, अगर एक बार कोई तुम्हारा, इज़हार कबूल कर ले, तो बदल जाती है पूरी दुनिया तुम्हारी। हे तो यह ढाई अक्षर प्रेम के, अगर मैं कहूंगा तो शायद तुम्हें पसंद ना आएगा, और तुम्हारा दिल दुखे यह मुझे पसंद नहीं आएगा, मैं मौन हूंँ मुझे मौन ही रहने दो, मेरे अल्फ़ाज को मेरे ज़हन में ही मरने दो। -Nitesh Prajapati ♥️ Challenge-966 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।