भंवर कैसा था वो गहरा, फंस गया कैसे वहां? अब निकलना है वहां से, फिर मुझे संभव कहां? दल-दल भी गहरा अब तो मुझको रास है आने लगा, क्योंकि उनका साथ ही तो, अब मेरा सारा जहां। अरुण शुक्ल "अर्जुन" प्रयागराज नरपत कुमार Dr. Vivek Bindra Official 🌐